मेजॉरिटी लोग जो तंबाखू , गुटखा, सिगारेट , मावा खैनी , तपकीर ये जो चीजे युज करते है ये सब जाणते है कि इनका फिजिकल हेल्थ , मेंटल हेल्थ और सेक्सयुल हेल्थ पे असर होता हैI ये चीजे ओ छोडना तो चाहते है लेकिन कुछ ना कुछ बहाणा करके ये सब कंटिन्यू करते हैI ये ऍडिक्शन बहोतही स्ट्रॉंग और पॉवरफुल होती हैI लेकिन उससे ज्यादा अपना मन और दिमाग पॉवरफुल रहता हैI इसलिये इसकी रिस्पॉन्सिबिलिटी आप को खुद लेनी हैIजो लोग छोडना चाहते हैI उनके लिये हम मदद करणेके लिये तैयार हैI अब हम लोग नशा क्यूँ करते हैI याने नाशे कि लत क्यू होती हैI इसके बारे मे बात करेंगे
- सबसे पहला रिझन है माँ बाप का अनुकरण जिस घरमे माँ या बाप अपने बच्चो के सामने किसी भी प्रकार का नशा करते है, तो उसकी छवी वो बच्चे के मन भी उतर जाती हैI संस्कार जो है ये अच्छी ‘किताब पढणेसे होती है ऐसा नही हैI तो कुछ अच्छा देखने पे भी होता है इस लिये हम कैसा बोलते हैI कैसा सोचते है इससे ज्यादा हम कैसा बर्ताव करते हैI उसका भी असर बचांके उपर होता हैI इसलिये माँ बाप का behavior या बर्ताव ये ऍडिक्शन मे बहोत मेजर रोल करता हैI
- इसका दुसरा रिझन है दुसरे लोगोंका अनुकरण बच्चे चोबीस घंटे घरमे नही रहते वो दुसरे लोगोंसे समाज मे जैसे कि टीचर्स है पडोसी रिलेटिव्ह फेंड्ससे मिलते रहते है तो अगर वो लोग नशा करते है तो उनका भी अनुकरण ये बच्चे कर सकते हैI
- तिसरा कारण है, दोस्त लोगोंकी जोर जबरदस्ती सिनियर बच्चों मे एक ग्रुप रहता हैI जो नशा करता है अगर जुनिअर बच्चेको नये बच्चे को ऊस ग्रुप मे आना है तो ओ कंडिशन रखते है कि उसको स्मोक करना पडेगा या तंबाखू गुटखा खाना पडेगा तो ऐसे पियर प्रेशर मी ये बच्चा नशे कि सुरुवात कर सकता है कभी कभी बच्चों मे ऐसी सोच रहती है, कि वो बडे हो चुके है सिगरेट पिणे से वो मर्द है ऐसा प्रूव्ह होता है या लडकियों पे इम्प्रेशन जमाने के लिये सिगरेट पिना पडता है तो ऐसी सारी गलत फैमिया वो बचोमे रहती हैI
- कभी कभी टीव्ही मे या एडव्हर्टाइज मे मुव्हीज मे फिल्मस्टार या एक्टरेस स्मोकिंग करते हुवे या ऍडिक्शन करते हुए दिखाई देते हैI तो उनका भी अनुकरण ये बच्चे लोग करते हैI
- इसका पाँचवा रिझन हैI जिज्ञासा या नये नये प्रयोग करके देखणा बच्चों कि एक खासियत है एक कॅरॅक्टर है कि हमेशा कुछ नया करके देखेंगे इसलिये वो चमकीले पॅकेटस मे वो गुटखा याने क्या है, तंबाखू याने क्या है, वो खाके देखेंगे उस्का टेस्ट कैसा है, वो देखणे के लिये वो नशे कि शुरुवात कर शकते हैI कभी कभी मेरे पापा या मेरे भाई वो नाक से धुवा कैसे निकालते है वो जानने के लिये भी वो नशे कि शुरुवात कर सकते हैI इसके अलावा व्यक्तिगत कारण जैसे कि कभी ख़ुशी मनाने के लिये कुछ अच्छा हुआ हैI सेलिब्रेट करणे के लिये भी बच्चे नशे कि शुरुवात कर सकते हैI कभी कभी कुछ मानसिक कारण जैसे कि उदासीनता हो , डिप्रेशन हो ,एन्झाईटी हो तो उसे बाहर निकलने के लिये भी ऍडिक्शन युज कर सकते हैI कभी कभी अनुवांशिकता याने हेडरीफॅक्टर्स भी ऍडिक्शन के लिये रिस्पॉन्सिबल रहते हैI जैसे कि अगर घरमे माँ बाप नशा करते है तो जीन्स थ्रू वो नेक्स्ट जनरेशन मी ऍडिक्शन का रिस्क उनमे रहता हैI
तंबाखू मे तीन हजार से ज्यादा केमिकल हैI उसमे से एक important केमिकल है वो है निकोटीन निकोटीन जब अपने ब्रेन मे चला जाता है तो अलग अलग केमिकल्स रिलीज करता है तो वो केमिकल्स कौन कौन से है उसके बारे मे अभि हम बात करेंगेI जब कोई तंबाखू गुटखा खाता है या सिगरेट स्मोकिंग करता है तो उसके दिमाग मे निकोटीन के वजह से कुछ केमिकल्स रिलीज होते हैI जैसे कि डोपामिन हो ऍसिटोलकॉलीन, सिरोटोनिन, नॉरपिनेफ्रिन, व्यासोप्रेसीन या बेटा एन्डोर्सफिन ये जो केमिकल्स हैI वो हमारे दिमाग मे अलग अलग रोल प्ले करते हैI डोपामिन जो है वो हमे ख़ुशी का एहसास दिलाता है ऍसिटाईलकोलिन हैI वो हमारी कॉन्सन्ट्रेशन ऍबिलिटी बडाता हैI कॅपॅसिटी को बडाता हैI सिरोटोनिन जो है वो हमारा मूड बनाये रखता हैI नॉरीपिणीफ्रीन जो है वो हमे आरौजल या एक्सायटेड फील करता है मजा दिलाता हैI व्यासोप्रेसीन जो है वो हमारी एन्हान्समेन्ट करता है हमारी याददाश बडाता हैI बीटा एन्डोरफीन जो है वो हमारा दर्द कम करता हैI पेन रिलीफ करता हैI
इसकी वजह से तंबाखू गुटखा या स्मोकिंग का सायकल सुरू हो जाता हैI और धीरे धीरे दिमाग को निकोटीन कि ऍडिक्शन लगती हैI समय के साथ मजा हो जाता हैI कम और परेशानी हो जाती है ज्यादा इसलिये उसके बाद एक घंटा भी अगर नशा नही मिलता हैI या आने एक दिन भी नही मिलता हैI तो उसको विथड्रॉवल सिम्प्टम्स लगते है अब हम निकोटीन विथड्रॉवल याने क्या उसके बारे मे बात करेंगे जाब पेशंट को तंबाखू गुटखा नही मिलता है तो उसको ज्यादा क्रेविंग होणा चिडचिडापण होना गुस्सा आना ऐसे तकलीफ हो सकता है कभी कभी कामकाज मे मन नाही लगना ध्यान न लगना या निंद न आना ऐसे भी लक्षण दिखते है तो इन्सान नशा करता है वो मजे के लिये या अच्छा फील करणे के लिये लेकिन आखिर मे ये इन्सान विथड्रॉवल सिम्प्टम्प्स मे फस कर नशे का उपयोग ये विथड्रॉवल सिम्प्टम्प्स कम करणे के लिये करता है और ये विथ ड्रॉवल सिम्प्टम्प्स मे क्रेविंग का रोल ज्यादा रहता हैI ये जो निकोटीन कि क्रेविंग है वो वेव्ह के फॉर्म मे आती हैI लेहर के फॉर्म मे आती हैI शुरू मे एक या दो घंटे मे लेहर आती है, चली जाती हैI हर लेहेर दो से पाँच मिनिट तक रहती हैI
ये जो क्रेविंग कि लेहर है वो पहले तीन दिन मे ज्यादा रहती है उसके बाद उसका फ्रिक्वेन्सी और इंटेन्सिटी कम होता जाता हैI लेकिन याद रखिये ये जो तंबाखू कि जो क्रेविंग हैI निकोटीन कि जो क्रेविंग है वो दिमाग मे तीन से चार महिने तक रहती है, अब हम निकोटीन का ऍडिक्शन याने तंबाखू गुटखा की जो लथ हैI उससे कैसे बाहर निकल सकते हैI उसके बारे मे डिस्कशन करेंगेI अब हम निकोटीन ऍडिक्शन या डिपेन्डन्स का मॅनेजमेंट कैसे किया जा सकता हैI उसके बारे मे डिस्कशन करेंगेI कौनसे भी ऍडिक्शन के मॅनेजमेंट के पेहेले इन्वेस्टीगेशन्स होना जरुरी है, तो कौन कौनसे इन्वेस्टीगेशनस करणा पड सकता है, तो पहला है, ऑल रुटीन इन्वेस्टीगेशन्स जैसे कि कम्प्लिट ब्लड काउंट लिव्हर फंक्शन टेस्ट किडनी फंक्शन टेस्ट या थायरॉईड फंक्शन टेस्ट कभी कभी पेट कि सोनोग्राफी या चेस्ट एक्स रे भी करना पड सकता हैI रेयर केसेस मे सिटी स्कॅन ब्रेन या एम आर आय भी करना पड सकता है.
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